Not known Details About Shiv chaisa

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

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सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ वेद नाम महिमा तव गाई।

अर्थ: हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न Shiv chaisa पाय॥

कमल नयन पूजन चहं सोई ॥ कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

पाठ पूरा हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।

जय जय जय अनन्त अविनाशी। shiv chalisa lyricsl करत कृपा सब के घटवासी॥

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